बहुत हो गया, एक नहीं सुनने वाली मैं अब.. ये क्या बात हुई, ना कोई खबर ना कोई मैसेज, ना खुद कॉल किया और ना ही रिसीव किया..
नित्या का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था, शायद सही भी है क्योंकि साहिल ने उससे सबेरे से कोई बात नहीं की, *शाम होने को आई अब लेकिन सुबह से परेशान नित्या के लिए अब इंतजार मुश्किल हो चला..*
साहिल और नित्या अपने कॉलेज के दूसरे साल में पढ़ रहे, कॉलेज भले ही अलग हो लेकिन एक दिन नहीं जाता जब वो ना मिलें, बातें तो दिन भर चलती ही रहती है.. आज का दिन कुछ अलग रहा और सुबह से परेशान होते होते शाम तक साहिल वॉट्सएप पर ब्लॉक हो चुका था..
नित्या ने ना ही खाना खाया और गुस्सा घर वालों के ऊपर निकाला सो अलग..
कोई 10 बजे होंगे जब साहिल ने कॉल किया, पर अब नहीं.. बहुत देर हो चुकी, सारे दोस्ती, रिश्ते, प्यार सब खत्म.. ये कोई तरीका नहीं होता, ना कोई बात होगी अब और ना ही मेसेज, नित्या अपना मन बना चुकी थी..
साहिल ने 10 से 12 बजे रात तक कोई 20 कॉल्स किए होंगे, पर कोई जवाब नहीं..
खैर जैसे तैसे रात निकली, नित्या को बहुत देर तक नींद नहीं आई, फिर पता नहीं कब आंख लग गई..
उठ बेटा, साहिल आया है.. तुम लोगों का कोई झगड़ा हुआ क्या, देख कितना दुखी हे वो.. मां एक ही झटके में सब बोल गई
उठकर समय देखा तो 9:30 बज गई थी, उसे बात तो करना नहीं थी सो बोली मां से की उससे कह दो कॉलेज के बाद मिलूंगी, अभी बहुत देर हो रही..
रूखा रवैया देखकर साहिल चला गया वहां से, पर फिर भी कॉलेज के बाद मिलने गया.. हां इस बार नित्या मिली, बड़े गुस्से से.. फटकार लगाती हुई.. वो कुछ सुनने के मूड में ही नहीं थी, वहां साहिल उसे कहता रह गया कि एक बार सुन तो लो..
रिश्ता टूट चुका था, गलतफहमियों के चलते.. ना सुनने का अहम रखने से, बात छोटी तो नहीं पर हां.. बेहतर तरीके से नियंत्रित की जा सकती थी…
इसी तरह कुछ महीने बीत गए, दोनों के बीच कोई संबंध नहीं रहा.. एक दिन की बात है नित्या अपने पापा के अस्पताल गई, वहां उसका परिचय एक आंटी से हुआ जो आईसीयू से बाहर आई थी आज ही..
आंटी ने बताया कि वो कई महीने से आईसीयू में थी.. उनके साथ एक दुर्घटना घट गई थी, अगर ठीक वक़्त पर उन्हें अस्पताल नहीं लाया जाता तो वो आज यहां नहीं होती..
उन्होंने वो तस्वीर निकाल कर बताई जिसे वो ईश्वर का रूप समझती है.. पर ये क्या 🤔 ये तो साहिल है.. नित्या ने जब तारीख मिलाई तो वो बरबस ही फुट फुट कर रोने लगी.. एक ही पल में सब कुछ उसकी आंखों के सामने आ गया.. ये क्या कर दिया उसने, साहिल की बात नहीं सुनी और इतना गुस्सा दिखाया.. काश उसने समझा होता साहिल को तो आज दोनों साथ होते..
वो एक पल ना रुकी, चली ढूंढने अपने साहिल को.. लेकिन एक सबक सीख चुकी थी वो आज, कोई भी कितनी बड़ी समस्या हो, सुनना बहुत जरूरी है सामने वाले की बातें.. हो सकता कोई ऐसी बात हो जो हम समझ ना पा रहें..
गलतफहमियां सब कुछ छीन लेती हैं, जिंदगी में गुजर जाते हैं जो मुकाम वो फिर नहीं आते..
इन्हीं विचारों के साथ, अश्रु धारा लिए उसके कदम बढ़ रहे थे.. अपनी जिंदगी फिर से पाने, साहिल को मिलने चली जा रही…
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